मिल जाता हर मोड़ पर हमसे
बात एक ही हर बार कर जाता
और दिल का दर्द बढाता
न न ऐसी बात नहीं है
दिल पर अब आघात नहीं है
दिल पर अब आघात नहीं है
सुनने के हो गए है आदी
उम्र अब कट गयी है आधी
पर अब भी वो बात है कहता
बचपन में जिससे छेड़ा करता
अब - जब भी वो बात है करता
बचपन का अहसास है रहता ॥
"तब करती थी तुम दो चोटी
पर तब भी तुम थीं तो मोटी ! "
कहता है "अब भी हो मोटी
बदली नहीं जबसे थी छोटी
कुछ तो अपना size निहारो
Weighing Scale को ज़रा उबारो
तुम अब भी मोटी हो "मोटी"!!"
ऐसे पागल मित्र हमारे ... न जाने क्यों लगे हैं प्यारे !