Thursday 1 March 2012

शादी की सालगिरह


शादी की सालगिरह पर इस साल हमने कहा इनसे ..

चलो अबके शादी की सालगिरह मनाएं
फिर नए वर वधु की तरह
संग घूमें सजें इतराएँ
यह रुके कुछ सोच कहते हैं
अरी अब तो चल रहे इम्तेहान बच्चों के
क्यों न हम सालगिरह अगले हफ्ते मनाएं?
इश्क हम दोनों किसी और दिन फरमायें ?

उफ़ तौबा ये इनका
किसी और दिन का नज़ारा
बीत गए दिन, घंटे
और पूरे लम्बे साल १८
जवानी में हम अपनी जवानी पर न इतराए
इनके इंतज़ार में दिन महीने गंवाए
कल कर लेंगे, अभी ज़रा ज़िन्दगी बना लें
अपना आज ठीक है, कल संवार लें
यही सुनते सुनते अब बूढ़े हो चले हैं
बच्चों की चिंता में ,बाल झड चले हैं
छरहरा बदन, अब हो गया पहाड़ है 
और चेहरे पर छा रही  उम्र की झाड है. 
अब कौनसे कल का करें हम इंतज़ार
अधेड़ उम्र के भी रह गए दिन चार!!

अब कैसे हम अपने इनको समझाएं
ज़रा यह बात आप ही हमें समझाएं !!