Tuesday 19 January 2010

उफ़ हाय!!

गरचे कभी धुप सताएगी तुम्हें
तो मैं तुम्हें छाँव दूँगा ,
बारिश के पड़े थपेड़े
तो छत दूंगा ...
हवाएं करें तंग अगर जब जब तुम्हें
तो उन्हें रोक दूंगा
ऐसा कहा था कभी
किसी ने सड़क के मोड़ पर ॥

हम करते रहे इंतज़ार
वही किनारे किनारे
वो भी बड़े खूब निकले
बातों के सहारे
निकल लिये;
काम था उनका
कर गए ...
आज सब जो उन्होंने कहा
दिया है , और
ये Bus Shelter
उन PWD बाबू की इनायत से ही बना है !!

1 comment:

ShantanuDas said...

Chalayey Jao! I see that you are still at it!! As for myself.. I have been going around ticking off the places I have seen but not feeling like posting the photos.. anyway.. soon i will.