Friday, 28 May 2010
Returning
i walked till the shore
and turned back
For it said
It was not the sea
Of my destiny!
My river
Was meant to
Meander and
Wander in vain
And dry away
In ignominy!
Wednesday, 26 May 2010
चलो... चलें??
यह कहती हमेशा ही बेटी हमारी
माँ चलो... चलें॥
चाहती जो हर चीज़ वो
करवाना जो काम हो
बुनियाद उसकी हमेशा
चलो ... चलें??
चलते हैं साथ अभी तो ये बच्चे
और मांगे भी साथ अभी तक ये बच्चे
चाहे काम उन्हीं के आधे अधूरे
और पर्चे हजारों जो करने हो पूरे
वक़्त का वो मोड़ नज़र आ रहा है
जहाँ से सडकें मुड़ी जा रही हैं
जो चलती हैं साथ अब तक अभी तक
वो मंजिल अपनी बदल जा रही हैं
दीखता वो मोड़ हर लम्हा हर पल है
पर हम भी उसे देखते ही नहीं हैं
जो है सच जान कल की ही सच्चाई
हम ख्यालों में पीछे धकेले हुए हैं
ये राहें वहीँ है जो मुड कर कभी भी
अलग राह अपनी ले कर ही रहेंगी
आज फिर भी चले हैं बेटी के साथ हम
क्यों न सुनें उसका - चलो..चलें???
माँ चलो... चलें॥
चाहती जो हर चीज़ वो
करवाना जो काम हो
बुनियाद उसकी हमेशा
चलो ... चलें??
चलते हैं साथ अभी तो ये बच्चे
और मांगे भी साथ अभी तक ये बच्चे
चाहे काम उन्हीं के आधे अधूरे
और पर्चे हजारों जो करने हो पूरे
वक़्त का वो मोड़ नज़र आ रहा है
जहाँ से सडकें मुड़ी जा रही हैं
जो चलती हैं साथ अब तक अभी तक
वो मंजिल अपनी बदल जा रही हैं
दीखता वो मोड़ हर लम्हा हर पल है
पर हम भी उसे देखते ही नहीं हैं
जो है सच जान कल की ही सच्चाई
हम ख्यालों में पीछे धकेले हुए हैं
ये राहें वहीँ है जो मुड कर कभी भी
अलग राह अपनी ले कर ही रहेंगी
आज फिर भी चले हैं बेटी के साथ हम
क्यों न सुनें उसका - चलो..चलें???
चुप्पी तुम्हारी
लिखेंगे कहानी बे सर पैर की करेंगे बातें हवाओं के सैर की करेंगे चर्चे गर्मियों के दौर के
कहेंगे सब आप जो कहती है दुनिया
वो नाहक सी बातें इधर उधर की
बुनेंगे कहानी बारिश और घन की
बातें बेमानी धरती गगन की ।
कह भी दें जो कहना कभी तो
आ जायें इस सूने जहां में बहारें !!
बनायेंगे बातें बच्चों के शोर की ।
कहेंगे सब आप जो कहती है दुनिया
वो नाहक सी बातें इधर उधर की
बुनेंगे कहानी बारिश और घन की
बातें बेमानी धरती गगन की ।
जुबां के ताले दिलों पे न डालें
कभी तो ये जाले लबों पे न डालेंकह भी दें जो कहना कभी तो
आ जायें इस सूने जहां में बहारें !!
Sunday, 16 May 2010
Monday, 10 May 2010
Random Thoughts
Thoughts that behave like restless children,
You know, like those with a thought in their hyperactive mind
And a word quivering to fall off their lips and roll of their tongue
You know, just like those attention seeking toddlers
Who stomp and shuffle their feet..
Thoughts like those chiildren
Who flitter in and out
And create a ruckus
And call more thoughts in into an already teeming playground
And love to cause mayhem around..
Can they not be given time out?
And told to sit with their face towards the wall?
Till I gather my breath and pick up my sanity..which lies strewn all over my diary?
You know, like those with a thought in their hyperactive mind
And a word quivering to fall off their lips and roll of their tongue
You know, just like those attention seeking toddlers
Who stomp and shuffle their feet..
Thoughts like those chiildren
Who flitter in and out
And create a ruckus
And call more thoughts in into an already teeming playground
And love to cause mayhem around..
Can they not be given time out?
And told to sit with their face towards the wall?
Till I gather my breath and pick up my sanity..which lies strewn all over my diary?
Subscribe to:
Posts (Atom)
Licence
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-Noncommercial-No Derivative Works 2.5 India License.