Wednesday 26 May 2010

चुप्पी तुम्हारी

लिखेंगे कहानी बे सर पैर की
करेंगे बातें हवाओं के सैर की
करेंगे चर्चे गर्मियों के दौर के
बनायेंगे बातें बच्चों के शोर की ।

कहेंगे सब आप जो कहती है दुनिया
वो नाहक सी बातें इधर उधर की
बुनेंगे कहानी बारिश और घन की
बातें बेमानी धरती गगन की

जुबां के ताले दिलों पे न डालें
कभी तो ये जाले लबों पे न डालें
कह भी दें जो कहना कभी तो
आ जायें इस सूने जहां में बहारें !!

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