चेहरे की लकीरें
कुछ अपनी कहानी कहती हैं
छोटी छोटी कई
कही अनकही निशानी
कुछ अपनी कहानी कहती हैं
छोटी छोटी कई
कही अनकही निशानी
कुछ वक़्त की मार की
कुछ प्यार की बौछार की
कुछ बारिशों के मौसम की
कुछ ठहरे हुए सावन की
कुछ प्यार की बौछार की
कुछ बारिशों के मौसम की
कुछ ठहरे हुए सावन की
कुछ ढलते वक़्त की
कुछ उगते सूरज की
कुछ आशाओं के समय की
कुछ उदासी की थपक सी
हर एक निशानी
में छिपी इक कहानी ।
ज़िन्दगी की ये निशानियाँ
चेहरे की रंगत में देख
कोई गिला नहीं
सुकून है
जी है ज़िन्दगी हमने
कुछ अपने अंदाज़ में
बस इतना करम रहे
कि ऐसे ही जियें
कल भी जैसे आज ।
चेहरे की लकीरों में
इन्हीं निशानों में
अपना सच नज़र आता है
अपना कल नज़र आता है
अपना आज नज़र आता है !!
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