Friday 5 March 2010

चेहरे की लकीरें


चेहरे की लकीरें
कुछ अपनी कहानी कहती हैं
छोटी छोटी कई
कही अनकही निशानी
कुछ वक़्त की मार की
कुछ प्यार की बौछार की
कुछ बारिशों के मौसम की
कुछ ठहरे हुए सावन की
कुछ ढलते वक़्त की
कुछ उगते सूरज की
कुछ आशाओं के समय की
कुछ उदासी की थपक सी
हर एक निशानी
में छिपी इक कहानी ।

ज़िन्दगी की ये निशानियाँ
चेहरे की रंगत में देख
कोई गिला नहीं
सुकून है
जी है ज़िन्दगी हमने
कुछ अपने अंदाज़ में
बस इतना करम रहे
कि ऐसे ही जियें
कल भी जैसे आज ।

चेहरे की लकीरों में
इन्हीं निशानों में
अपना सच नज़र आता है
अपना कल नज़र आता है
अपना आज नज़र आता है !!

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