आज दिन भर एक अच्छा काम किया
किसी को जी-भर तसल्ली से याद किया
एक-एक पल उनके ख्याल बुने
एक-एक पल उधेड़े
फिर बुने, फिर उधेड़े
फिर बुने, फिर उधेड़े
यह करते करते अनायास ही तागों से उलझ पड़े
अपने ही आप पर बरस पड़े
फिर मनाने की खातिर बिखर पड़े
तब जाना कि किस हद को पार कर आए हैं ।
अब और अच्छा सा कम कर रहे हैं
जो एक एक कर
उनका नाम ले
ख्यालों को सुलझा रहे हैं
अपने आप को फिर अपना बना रहे हैं।
ये जानते हैं , कि कुछ दिनों बाद
फिर उस मोड़ पर जायेंगे...
उन्हें याद करेंगे
और लौट आएंगे॥
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