जो हम कहते हैं
शायद पहले भी यही ख्याल
कईयों को आए होंगे,
कईयों ने कहे होंगे
कईयों ने यूँ प्यार के इंतज़ार में
लम्हे बिताए होंगे
हम जो कहते हैं वो नया तो नहीं
पर एक नए नाम से
एक नए अहसास में
सब नया लगता है
मोहब्बत का हर फ़साना
नया नहीं होता
बस दो नए नाम
दो नए दिल
उसे हर किस्से पर
नया कर जाते हैं
Thursday, 30 July 2009
कल देखे थे ख्वाब और ज़िन्दगी आस पास बैठे हुए
चेतन-अवचेतन में
कभी न कभी
यह ख्याल तो रहा ही होगा
कि शायद मिलेंगे कभी
ख्वाब और ज़िन्दगी
अब जब मिले हैं, तो दोनों चुप हैं
समझ ही नहीं पा रहे
कहाँ से शुरू करें
अजीब हिचक है दोनों की
ऐसा नहीं है कि अनजान हैं वे
एक दूजे से
पर न जाने क्या है कि दोनों
चुप हैं, खामोश से हैं
लबों पर न जाने कैसे
हज़ार ताले लगा रखे हैं
कुछ वक्त के, कुछ समय से
और कुछ ऐसे जो वास्तव में
हैं ही नहीं,
बस मन में लगाये बैठे हैं
यह भी सूझ नहीं रहा कि
बोल नहीं हैं तो क्या
बोल नहीं सकते तो
आँखों को ही माध्यम बना लें
पर हाय देखो तो सही
दोनों नज़रें झुकाए बैठे हैं
शायद दोनों के दिल बोल रहे होंगे
और वे दोनों
एक दूसरे की भाषा समझ रहे होंगे
पर हम अल्लाह के नाशुक्रे बन्दे
ज़िन्दगी के बोझ से बोझल
कहाँ समझ पाये कभी
दिलों की जुबां कों।
कभी न कभी
यह ख्याल तो रहा ही होगा
कि शायद मिलेंगे कभी
ख्वाब और ज़िन्दगी
अब जब मिले हैं, तो दोनों चुप हैं
समझ ही नहीं पा रहे
कहाँ से शुरू करें
अजीब हिचक है दोनों की
ऐसा नहीं है कि अनजान हैं वे
एक दूजे से
पर न जाने क्या है कि दोनों
चुप हैं, खामोश से हैं
लबों पर न जाने कैसे
हज़ार ताले लगा रखे हैं
कुछ वक्त के, कुछ समय से
और कुछ ऐसे जो वास्तव में
हैं ही नहीं,
बस मन में लगाये बैठे हैं
यह भी सूझ नहीं रहा कि
बोल नहीं हैं तो क्या
बोल नहीं सकते तो
आँखों को ही माध्यम बना लें
पर हाय देखो तो सही
दोनों नज़रें झुकाए बैठे हैं
शायद दोनों के दिल बोल रहे होंगे
और वे दोनों
एक दूसरे की भाषा समझ रहे होंगे
पर हम अल्लाह के नाशुक्रे बन्दे
ज़िन्दगी के बोझ से बोझल
कहाँ समझ पाये कभी
दिलों की जुबां कों।
Friday, 17 July 2009
When History Knocks
Do you open the door , and let it in?
Do you say.....I am not at home,
So will you please go away?
Or do you say SHOOOO!! BOOOO!!! OUT !!! ?
Or....Do I know you?
Is it a warm Hello, and you begin
Where-ever it was, that you had left it?
Do you say.....I am not at home,
So will you please go away?
Or do you say SHOOOO!! BOOOO!!! OUT !!! ?
Or....Do I know you?
Is it a warm Hello, and you begin
Where-ever it was, that you had left it?
Friday, 10 July 2009
अमलतास के फूल
अमलतास का फूल भी थक गया है,
पेडों से लटक लटक कर,
कहता है हाय !
कितना इंतज़ार कराते हो,
मेघा, कब आओगे!
जब सूरज चढा था, ग्रीष्म का
तब वादा किया था उस से
कि तब तक इंतज़ार करूंगा
जब तक तुम आओगे
और एक वादा लिया था तुमसे
कि तुम आओगे
और बहुत जल्द आओगे
महीनों बीत गए हैं,
और मैं अब भी इंतज़ार कर रहा हूँ
आओ न,
अब क्यों रूठे हो।
अब तो एक-एक करके
मेरी डाल की एक-एक पंखुडी
सूख रही है, मुरझा रही है
तुम्हारे इंतज़ार के हर एक दिन
मैं एक पंखुडी से बिछुड़ जाता हूँ
पर फिर भी टिका हुआ हूँ
और विरह की पीड़ा सहता हूँ
राह देखते तुम्हारी
कि मेघा, आओगे तो
पर न जाने कब आओगे।
अब तो मेरा यौवन भी ढलता जाता है
और पीला रंग, फीका पड़ा जाता है
बेरंग और बेनूर सा हो गया हूं
पर इंतज़ार हैं अनंत
मेघा , आओगे तो
एक दिन ज़रूर आओगे।
और अब आओगे तो
मेरी नई नस्ल होगी
और नया जूनून होगा
नया यौवन होगा
और उससे भी
तुम वही वादे लोगे
और वही वादे दोगे
पर मेघा
तब आ जाना ज़रूर
नहीं तो कठोर-ह्रदय,
धोखे-बाज़ कहलाओगे
और तुमपर से
अमलतास का विश्वास उठ जाएगाकोई न देखेगा राह तुम्हारी
कोई न करेगा चाह तुम्हारी
इसीलिए,
आ जाना
जब भी वादा करो
आने का।
Monday, 6 July 2009
Dry July!
As Dry as the Northern Belt (Cow Belt)
With not a drop of the Monsoon to be seen.
So is my blog...
Not a single post..
And this is obviously, just to fill in the Blanks for the time-being.
C U later....when words prevail
With not a drop of the Monsoon to be seen.
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And this is obviously, just to fill in the Blanks for the time-being.
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