Monday 8 February 2010

फूलों की ज़ुबान


फूलों की भी तो अपनी कहानी होती होगी
कुछ हसरतें कुछ ज़ुबानी होती होगी
सुनने वालों सुन लिया करो उन्हें भी
जो कह नहीं पाते
महकते महकते, खिलते रहते हैं
चुप्पी साधे,
हर सुबह, हर शाम
राहें तुम्हारी सुन्दर बनाते हैं
उन फूलों की बोली तुम्हें भी तो
कुछ कहती होगी !

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