फूलों की भी तो अपनी कहानी होती होगी कुछ हसरतें कुछ ज़ुबानी होती होगी सुनने वालों सुन लिया करो उन्हें भी जो कह नहीं पाते महकते महकते, खिलते रहते हैं चुप्पी साधे, हर सुबह, हर शाम राहें तुम्हारी सुन्दर बनाते हैं उन फूलों की बोली तुम्हें भी तो कुछ कहती होगी !
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